इंजीजेनेटिक नियरिंग (Genetic Engineering)
बायोतकनीक व बायोइन्फोर्मेटिक के क्षेत्र में भविष्य की तकनीक
इंजीजेनेटिक नियरिंग (Genetic Engineering):
जेनेटिक इंजीनियरिंग का अनुप्रयोग कई क्षेत्रों में सफलतापूर्वक किया जा रहा है। जेनेटिक इंजीनियरिंग से आने वाले वक्त में मवेशी पालन व पौध उत्पादन के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन होंगे। जेनेटिक इंजीनियरिंग के अनुप्रयोग से जानवरों व पौधों की नई प्रजातियों का प्रजनन व विकास किया जा रहा है। जेनेटिक इंजीनियरिंग के अनुप्रयोग से भविष्य में चिकित्सा के क्षेत्र में भारी क्रांति आने की संभावना है।
सिंथेटिक जीवविज्ञान व सिंथेटिक जीनावली (Sunthetic biology & synthetic genomics):
इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रिसर्च व विकास का कार्य चल रहा है। मई 2010 में प्रथम कृत्रिम बैक्टीरिया का निर्माण किया जा चुका है। सिंथेटिक जीवविज्ञान से आने वाले समय में रसायन उद्योग, पेट्रोलियम उद्योग व प्रसंस्करण उद्योग में भारी क्रांति आएगी। इस तकनीक से बैक्टीरिया की प्रोग्राम्ड प्रजातियों की मदद से नई प्रकार की उत्पादन प्रक्रियाओं हमारे सामने आएंगी।
कृत्रिम फोटो संश्लेषण (Artificial photosynthesis):
इस क्षेत्र में शोधकार्य जारी हैं। इस तकनीक की सहायता से फोटो संश्लेषण की प्राकृतिक प्रक्रिया की नकल की जाएगी जिससे सूर्य के प्रकाश, जल और कार्बन डाईऑक्साइ़ड़ को कार्बोहाईड्रेट व ऑक्सीजन में परिवर्तित किया जाएगा।
आयुवद्र्धक औषधियां (Anti-aging drugs):
आयुवद्र्धक औषधियों का परीक्षण जानवरों पर सफलतापूर्वक किया जा रहा है। आयुवद्र्धक औषधियों के विकास से मानव की आयु बढ़ाई जा सकेगी और वृद्धावस्था से संबंधित कई बीमारियों से लोगों को निजात मिल सकेगी।
विट्रीफिकेशन (Vitrification):
इस क्षेत्र में अभी तक मात्र शोधकार्य ही चल रहा है। इस तकनीक का प्रयोग आने वाल समय में अंग प्रत्यारोपण में किया जाएगा।
हाइबरनेशन या सस्पेंडेड एनीमेशन (Hibernation or suspended animation):
हाइबरनेशन या सस्पेंडेड एनीमेशन की तकनीक में दक्षता के लिए जानवरों पर प्रयोग चल रहे हैं। इस तकनीक में दक्षता से सर्जिकल एनीस्थीसिया का प्रयोग समाप्त हो जाएगा। इस तकनीक का प्रयोग आने वाले वक्त में अंग प्रत्यारोपण, अंतरिक्ष यात्रा इत्यादि में किया जाएगा।
स्टेम सेल चिकित्सा (Stem cell treatment):
स्टेम सेल चिकित्सा के द्वारा कई असाध्य रोगों का इलाज आसानी से करना संभव हो जाएगा। इस क्षेत्र में काफी तेजी से शोधकार्य जारी है और इसका अनुप्रयोग किया जा रहा है।
पर्सनलाइज्ड दवाएं (Personalized medicine):
आने वाले वक्त में ऐसी दवाएं तैयार की जाएंगी जो व्यक्तिगत होंगी और व्यक्ति विशेष की जेनेटिक संरचना को ध्यान में रख कर तैयार की जाएंगी। इन दवाओं की खास बात यह होगी कि ये अत्यन्त सटीकता के साथ व्यक्ति के रोग का इलाज करेंगी।
इंजीजेनेटिक नियरिंग (Genetic Engineering):

सिंथेटिक जीवविज्ञान व सिंथेटिक जीनावली (Sunthetic biology & synthetic genomics):
इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रिसर्च व विकास का कार्य चल रहा है। मई 2010 में प्रथम कृत्रिम बैक्टीरिया का निर्माण किया जा चुका है। सिंथेटिक जीवविज्ञान से आने वाले समय में रसायन उद्योग, पेट्रोलियम उद्योग व प्रसंस्करण उद्योग में भारी क्रांति आएगी। इस तकनीक से बैक्टीरिया की प्रोग्राम्ड प्रजातियों की मदद से नई प्रकार की उत्पादन प्रक्रियाओं हमारे सामने आएंगी।
कृत्रिम फोटो संश्लेषण (Artificial photosynthesis):
इस क्षेत्र में शोधकार्य जारी हैं। इस तकनीक की सहायता से फोटो संश्लेषण की प्राकृतिक प्रक्रिया की नकल की जाएगी जिससे सूर्य के प्रकाश, जल और कार्बन डाईऑक्साइ़ड़ को कार्बोहाईड्रेट व ऑक्सीजन में परिवर्तित किया जाएगा।
आयुवद्र्धक औषधियां (Anti-aging drugs):
आयुवद्र्धक औषधियों का परीक्षण जानवरों पर सफलतापूर्वक किया जा रहा है। आयुवद्र्धक औषधियों के विकास से मानव की आयु बढ़ाई जा सकेगी और वृद्धावस्था से संबंधित कई बीमारियों से लोगों को निजात मिल सकेगी।
विट्रीफिकेशन (Vitrification):
इस क्षेत्र में अभी तक मात्र शोधकार्य ही चल रहा है। इस तकनीक का प्रयोग आने वाल समय में अंग प्रत्यारोपण में किया जाएगा।
हाइबरनेशन या सस्पेंडेड एनीमेशन (Hibernation or suspended animation):
हाइबरनेशन या सस्पेंडेड एनीमेशन की तकनीक में दक्षता के लिए जानवरों पर प्रयोग चल रहे हैं। इस तकनीक में दक्षता से सर्जिकल एनीस्थीसिया का प्रयोग समाप्त हो जाएगा। इस तकनीक का प्रयोग आने वाले वक्त में अंग प्रत्यारोपण, अंतरिक्ष यात्रा इत्यादि में किया जाएगा।
स्टेम सेल चिकित्सा (Stem cell treatment):
स्टेम सेल चिकित्सा के द्वारा कई असाध्य रोगों का इलाज आसानी से करना संभव हो जाएगा। इस क्षेत्र में काफी तेजी से शोधकार्य जारी है और इसका अनुप्रयोग किया जा रहा है।
पर्सनलाइज्ड दवाएं (Personalized medicine):
आने वाले वक्त में ऐसी दवाएं तैयार की जाएंगी जो व्यक्तिगत होंगी और व्यक्ति विशेष की जेनेटिक संरचना को ध्यान में रख कर तैयार की जाएंगी। इन दवाओं की खास बात यह होगी कि ये अत्यन्त सटीकता के साथ व्यक्ति के रोग का इलाज करेंगी।
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