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Sunday, 29 May 2016

अयस्क में पायी जाने वाली अशुद्धियों को कैसे अलग किया जाता है?

अयस्क में पायी जाने वाली अशुद्धियों को कैसे अलग किया जाता है?

किसी शुद्ध धातु को उसके अयस्क से प्राप्त करने की सम्पूर्ण विधि धातुकर्म (Metallurgy) कहलाती है | अयस्क को तोड़ना व पीसना, अयस्कों का सान्द्रण, धातु का निष्कर्षण और धातु का शोधन धातुकर्म के चार चरण होते हैं | अयस्क (Ore) में से अशुद्धियों को बाहर निकालने की प्रक्रिया को सान्द्रण कहा जाता है | अशुद्धि को दूर करने की विधि का चयन अयस्क की प्रकृति के आधार पर किया जाता है | चार तरह की विधियों के द्वारा अयस्क में से अशुद्धियों को अलग किया जाता है ,जिनके नाम हैं- जलीय शोधन, चुम्बकीय पृथक्करण, झाग प्लवन और लीचिंग |
अयस्क के सान्द्रण की विधि
अयस्क में  समान्यतः मृदा, बालू व अन्य अनुपयोगी सिलिकेट भी पाये जाते हैं | अयस्क में निहित इन अशुद्धियों को गैंग (Gangue) कहा जाता है | अयस्कों में से गैंग को अलग करना अयस्कों का सान्द्रण या प्रसाधन कहलाता है | अयस्कों के सान्द्रण की विधियाँ निम्नलिखित हैं-
• जलीय शोधन (Hydraulic Washing): इस विधि में अयस्कों के चूर्ण को बहती हुई जलधारा में धोते हैं, जिससे भारी अयस्क कण नीचे बैठ जाते हैं और बालू, मिट्टी आदि अशुद्धियाँ या तो जल में घुल जाती हैं या फिर बहकर निकल जाती हैं | इस तरह गैंग (Gangue) या सभी तरह के हल्के पदार्थ, भारी धात्विक अयस्क  से अलग हो जाते हैं | इसे गुरुत्वीय पृथक्करण भी कहा जाता है |
• चुम्बकीय पृथक्करण (Magnetic Separation): इस विधि से फ़ेरोचुंबकीय अयस्क अलग किए जाते हैं | इसमें अयस्कों के चूर्ण को चुम्बकीय पट्टे पर डाला जाता है, जिससे चुम्बकीय कण पट्टे से चिपक जाते हैं और अचुंबकीय कण पट्टे से दूर गिर जाते हैं  बाद में  अलग हुये चुम्बकीय अयस्क को एकत्र कर लिया जाता है |
• झाग प्लवन विधि (Froth Flotation): इस विधि का प्रयोग सल्फाइड अयस्क से गैंग (अशुद्ध पदार्थ ) को अलग करने के लिए किया जाता है | जब सल्फाइड अयस्क को तेल व गैस के मिश्रण में डालते हैं तो सल्फाइड अयस्क तेल द्वारा जल्द भीगता है और आँय अशुद्धियाँ जल द्वारा जल्द भीगती हैं | तेल व जल में बने हुए सल्फाइड अयस्क के निलंबन में जब वायु प्रवाहित करते हैं तो सल्फाइड अयस्क के कण झाग बनकर ऊपर आ जाते हैं और अशुद्धियाँ नीचे बैठ जाती हैं |
• लीचिंग : इस विधि में सूक्ष्म विभाजित अयस्क को किसी ऐसे विलायक में घुलाते हैं जिसमें अयस्क तो घुल जाता है लेकिन अशुद्धियाँ नहीं घुलती हैं | सिल्वर, गोल्ड, एल्युमीनियम के अयस्क इस विधि द्वारा अलग किए जाते हैं |

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