सेरेमिक : एक अकार्बनिक आधात्विक ठोस
सेरेमिक : एक अकार्बनिक आधात्विक ठोस
सेरेमिक एक अकार्बनिक व अधात्विक ठोस है, जिसका निर्माण धात्विक व अधात्विक पदार्थों से होता है | इसकी सतह को उच्च तापमान पर गर्म करके कठोर, उच्च प्रतिरोधकता युक्त व भंगुर (Brittle) बनाया जाता है |
सेरेमिक के प्रकार
सेरेमिक के निम्नलिखित दो प्रकार होते हैं :
1. परंपरागत सेरेमिक: परंपरागत सेरेमिक पदार्थों का निर्माण चीका/क्ले पदार्थ या क्वार्ट्ज़ रेत से होता है | बॉल क्ले (Ball clay), चाइना क्ले (China clay), फेल्डस्पार, सिलिका, डोलोमाइट, कैल्साइट व टैल्क सामान्य पदार्थ हैं, जिनका प्रयोग सेरेमिक के निर्माण में होता है | सेरेमिक निर्माण प्रक्रिया में पाउडर का निर्माण सबसे महत्वपूर्ण चरण है | सेरेमिक निर्माण के समय क्षेत्रफल (Surface Area), कणों के आकार व वितरण, कणों के आकार, कणों के घनत्व आदि सामान्य कारकों को ध्यान में रखा जाता है | परंपरागत सेरेमिक उत्पादों में सेरेमिक बर्तन, सेनेटरी वेयर, टाइल्स, संरचनात्मक चीका उत्पाद व अग्नि-रोधक पदार्थ आदि शामिल हैं |
2. उन्नत सेरेमिक : इलेक्ट्रोनिक, इलेक्ट्रिकल और ऑप्टिकल उद्योगों में सेरेमिक के बढ़ते प्रयोग और चुम्बकीय अनुप्रयोगों (Applications) ने इसे पाउडर के रूप से विभिन्न घनत्व वाली एक ठोस व सघन सामग्री (Thick Material) में बदल दिया है | इसके निर्माण में अत्यधिक उन्नत (Advanced) उत्पादन तकनीकों का प्रयोग किया जाता है, ताकि प्राप्त सेरेमिक पाउडर पर्याप्त शुद्ध हो और उसे इच्छानुसार आकार में बदला जा सके | इनमें से कई विधियाँ काफी महँगी भी हैं| अतः उन्नत सेरेमिक उद्योग में पाउडर का निर्माण एक मुख्य लागत कारक (Cost Factor) है|
सेरेमिक निर्माण की नवीन विधियाँ
सेरेमिक बनाने की परंपरागत अग्नि विधि के अतिरिक्त वर्तमान में सेरेमिक बनाने के लिए कई अन्य विधियाँ भी प्रयोग में लायी जाती हैं, जिनका विवरण निम्नलिखित है-
• बहिर्वेधन (Extrusion): इस विधि में साँचों की सहायता से सेरेमिक पाउडर को पेस्ट जैसे पदार्थ में बदलकर इच्छानुसार आकार में ढाला जा सकता है |
• जिगरिंग (Jiggering): इस विधि के द्वारा सेरेमिक पाउडर को घुमावदार आकार में बदल दिया जाता है ताकि उसका प्रयोग इलेक्ट्रोनिक व इलेक्ट्रिकल उपयोगों में किया जा सके |
• हॉट प्रेसिंग (Hot pressing): इस विधि में सेरेमिक पाउडर को उच्च ताप पर गर्म करने के बाद शीट आकार में ढाल दिया जाता है, जिसका प्रयोग विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है |
• प्रतिक्रिया बंधन (Reaction Bonding): यह सेरेमिक निर्माण की एक नयी तकनीक है, जिसमें सिलिकन पाउडर को इच्छानुसार रूप में ढालकर नाइट्रोजन गैस की सहायता से गर्म किया जाता है | इस विधि से उच्च घनत्व वाले लचीले रूप को प्राप्त किया जाता है, जिसका उपयोग उद्योगों में किया जाता है |
सेरेमिक की उपयोगिता
• इलेक्ट्रोनिक व इलेक्ट्रिकल उद्योगों में बेरियम टिटेनेट (Barium Titanate-BaTiO3), पीजोइलेक्ट्रिक पदार्थों व सेमीकंडक्टर पदार्थों जैसे उन्नत सेरेमिक पदार्थों का सेरेमिक कैपेसिटर्स (Ceramic Capacitors),वाइव्रेटरों (Vibratos), तापमान सेंसरों, ओसिलेटर्स (Oscillators) आदि के उत्पादन में बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जाता है |
• चुम्बकीय सेरेमिक , जोकि उन्नत सेरेमिक का एक प्रकार है ,का प्रयोग एंटेना (Antennas) और इंडक्टरों (Inductors) के निर्माण में किया जाता है |
• बायो सेरेमिक, जैसे- उच्च घनत्व व शुद्धता वाली एल्युमिना, का प्रयोग दाँतों के प्रत्यारोपण (Implants) में किया जाता है |
• बायो सेरेमिक का प्रयोग आँख के चश्मे, रासायनिक बर्तन, और कूल्हों व घुटनों आदि के प्रतिस्थापन (Replacement) जैसी चिकित्सा गतिविधियों में भी किया जाता है |
• परंपरागत सेरेमिक का प्रयोग प्राचीन सभ्यताओं में भी किया गया था, जबकि उन्नत सेरेमिक का विकास हाल ही में हुआ है |
• सेरेमिक का प्रयोग वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने वाले उत्प्रेरक परिवर्तक (catalytic convertor) के रूप में भी किया जाता है |
• सेरेमिक की पहचान एक हल्के पदार्थ की है, इसीलिए कई औद्योगिक उपकरणों में धातु की जगह इसके प्रयोग को वरीयता दी जाती है |
• पीजोइलेक्ट्रिक सेरेमिक पदार्थों तनाव व दबावयुक्त परिस्थितियों में निम्न मात्रा में विद्युत धारा उत्पादित कर सकते हैं, जिसका प्रयोग धात्विक विफलताओं (Metal Failures) व भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं का पता लगाने में किया जा सकता है |
• इसका प्रयोग प्रतिदीप्ति या फ़्लोरोसेंट बल्बों व ट्यूबलाइटों पर परत चढ़ाने के लिए किया जा सकता है |
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